राम राम सा,

घणा घणा राम राम अबं आपां करस्यां आपणी भाषा मैं बातां राजस्थानी मैं कविता लिखो और बढाओ राजस्थानरो नाम !!

Thursday, June 18, 2009

कोझी बात !!!

जोरुराम जी और सीताराम जी दोन्यूं ही भोत मजाकी मिनख हा | जोराराम जी स्वर्ग की यात्रा पर चला गया सीताराम जी अबं एकला पड़ग्या || एकर दोन्यो धोरा मैं निमंटन लाग्र्या हा !!! जोराराम जी निमटता निमटता उचाणचका बोल्या :अरे सीतिया आज गाँव में कोई मौत हुई के ?? सीताराम जी तो उचाणचक ओ प्रश्न सुन गे माथे मैं सळ घाल्गे बोल्या : ना भाया कूणी को मरयो आज तो क्यूँ? जोरुराम जी आप्गी शंका जाहिर करी: जे कुणी न मरयो तो ओ इतो बडो और इतो जाडो निमंटन करगे गयो है बो जीवन्तो है के??

म्हारे गाँव का जोरुराम जी!!

म्हारे गाँव का जोरुराम जी बड़ा मजाकी आदमी हा, मरता मरता भी मजाक करग्या | अंतिम दिना मैं भोत बीमार रैया| खाणों पाणी छोड दियो | अबैं बुढली स्यूं क्यांगो रैजे बोली: मुन्ने का बापू कुछ खा ल्यो | डैण बोल्यो: की कोनी भावे | बुढली ओज्युं कैयो: भावे बिस्यो ही खाल्यो, | डैण थोड़ो कल्डो हो गे बोल्यो : अरे भावे कोनी जणा ही तो खाईजे कोनी | पण डैणती देख्यो कियां जियां ही करगे की खावे इ तो ओज्युं कैयो : थोड़ो दूध ही पि ल्यो | अबं डैण गो थ्यावस उत्तर दे गयो जोर्स्युं बोल्यो : अरे मुनिया इं तेरी माँ गे छींकी दे!!!(हकीक़त)