राम राम सा,

घणा घणा राम राम अबं आपां करस्यां आपणी भाषा मैं बातां राजस्थानी मैं कविता लिखो और बढाओ राजस्थानरो नाम !!

Friday, May 1, 2009

दहिरो कुल्हड़ियो


गुरूजी पढॉवता गांव में रोटड़ी आंवती ठांवम!!
बिन्या चोपड़ी लुखी पाखी, गुरूजी कौर तोड़र चाखी !!
जग्याँ जग्याँ स्यूं ल्यायो है बळैड़ी,सागे मेधाबरी किंकर रर्ळैड़ी !!
टीँगरो बेसुरी हैं थारी मावां अबं बापरो सीर खांवा !!
अबकाळे भुरियो कियां आवे,हाथ मैं दहिरो कुल्हड़ियो ल्यावे !!
हौळे हौळे रोट्ड़ीरी कौर खादी,भुरियो बोल्यो गुरूजी दहीरो कुल्हड़ियो दिरायो है दादी !!
अरे भूरिया दादी कियां टूठ्गी, गुरूजी दही ने गन्डकड़ी उन्ठ्गी!!
बळी बळज्याणी दादिरी सुर ही जकी रोट्ड़ी और लीनी चूर !!अरे जिनावर तने तो ठा हो,

हाँ गुरूजी म्हारे घरे गंडकॉ गो ऐंठेड़ो कुण खा हो !!
सुणता हीं गुरूजी को कोवो छुट्ग्यो कुल्हड़ियो फेंक्यो फेंकता ही फूटग्यो!!

बळी बलज्याणी राफां जुतसी, रोंवतो ही बोल्यो भुरियो अबं दादी रातन क्यामे मुतसी!!

3 comments:

  1. Nice blog! I don't understand Rajasthani but it seems many words are same with Nepali too. And Nepali also is written in DEVANAGARI.

    Happy blogging!

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  2. Bhasha Jara Der Se Samajh Aayi, Lekin Jab Aayi Tab Hans Hi DIye Ham To.

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म्हारे तो थारी टिपण्णी बिन्या अड़ी पड़ी है , अबं अडिको कीने हो लिखद्यो हुवा !!! हाँ इंया!! मोकळा मोकळा लाड कोड !!