राम राम सा,

घणा घणा राम राम अबं आपां करस्यां आपणी भाषा मैं बातां राजस्थानी मैं कविता लिखो और बढाओ राजस्थानरो नाम !!

Friday, June 28, 2013

दस्त किता पतला

मरीज : डागधर जी पेट में गुलड गुलड हुवे और पत्ल्ल्ला पत्ल्ल्ला दस्त लागें | डाक्टर : किता पत्ल्ला लागें | मरीज : मतलब एकदम पत्ल्ल्ला | डाक्टर : हाँ हाँ एकदम पत्ल्ला समझ गयो पण तो भी किताक पत्ल्ला | मरीज : अब कोई पतलापन नापन को कोई मीटर तो हव कोणी कियां बताऊ |का तो सागे चाल्या थे इ नाप् लिया | डाक्टर : जा पैली ठा करगे आ किता पत्ल्ल्ला लागें | मरीज गयो और थोड़ी देरी बाद पाछो आयो बाल्टी भर के ल्याओ बोल्यो: डागधर साब पत्तो कर लियो | डाक्टर : हाँ बोल किता पतला लागें | मरीज : हे आ ल्यो बाल्टी और थारो मीटर लगा के नाप्ल्यो |

Thursday, June 18, 2009

कोझी बात !!!

जोरुराम जी और सीताराम जी दोन्यूं ही भोत मजाकी मिनख हा | जोराराम जी स्वर्ग की यात्रा पर चला गया सीताराम जी अबं एकला पड़ग्या || एकर दोन्यो धोरा मैं निमंटन लाग्र्या हा !!! जोराराम जी निमटता निमटता उचाणचका बोल्या :अरे सीतिया आज गाँव में कोई मौत हुई के ?? सीताराम जी तो उचाणचक ओ प्रश्न सुन गे माथे मैं सळ घाल्गे बोल्या : ना भाया कूणी को मरयो आज तो क्यूँ? जोरुराम जी आप्गी शंका जाहिर करी: जे कुणी न मरयो तो ओ इतो बडो और इतो जाडो निमंटन करगे गयो है बो जीवन्तो है के??

म्हारे गाँव का जोरुराम जी!!

म्हारे गाँव का जोरुराम जी बड़ा मजाकी आदमी हा, मरता मरता भी मजाक करग्या | अंतिम दिना मैं भोत बीमार रैया| खाणों पाणी छोड दियो | अबैं बुढली स्यूं क्यांगो रैजे बोली: मुन्ने का बापू कुछ खा ल्यो | डैण बोल्यो: की कोनी भावे | बुढली ओज्युं कैयो: भावे बिस्यो ही खाल्यो, | डैण थोड़ो कल्डो हो गे बोल्यो : अरे भावे कोनी जणा ही तो खाईजे कोनी | पण डैणती देख्यो कियां जियां ही करगे की खावे इ तो ओज्युं कैयो : थोड़ो दूध ही पि ल्यो | अबं डैण गो थ्यावस उत्तर दे गयो जोर्स्युं बोल्यो : अरे मुनिया इं तेरी माँ गे छींकी दे!!!(हकीक़त)

Friday, May 1, 2009

दहिरो कुल्हड़ियो


गुरूजी पढॉवता गांव में रोटड़ी आंवती ठांवम!!
बिन्या चोपड़ी लुखी पाखी, गुरूजी कौर तोड़र चाखी !!
जग्याँ जग्याँ स्यूं ल्यायो है बळैड़ी,सागे मेधाबरी किंकर रर्ळैड़ी !!
टीँगरो बेसुरी हैं थारी मावां अबं बापरो सीर खांवा !!
अबकाळे भुरियो कियां आवे,हाथ मैं दहिरो कुल्हड़ियो ल्यावे !!
हौळे हौळे रोट्ड़ीरी कौर खादी,भुरियो बोल्यो गुरूजी दहीरो कुल्हड़ियो दिरायो है दादी !!
अरे भूरिया दादी कियां टूठ्गी, गुरूजी दही ने गन्डकड़ी उन्ठ्गी!!
बळी बळज्याणी दादिरी सुर ही जकी रोट्ड़ी और लीनी चूर !!अरे जिनावर तने तो ठा हो,

हाँ गुरूजी म्हारे घरे गंडकॉ गो ऐंठेड़ो कुण खा हो !!
सुणता हीं गुरूजी को कोवो छुट्ग्यो कुल्हड़ियो फेंक्यो फेंकता ही फूटग्यो!!

बळी बलज्याणी राफां जुतसी, रोंवतो ही बोल्यो भुरियो अबं दादी रातन क्यामे मुतसी!!

Wednesday, April 22, 2009



म्हारो प्यारो राजस्थान

आओ लिखो कोई कविता कोई हँसने हँसानेरी बात